महिलाओं द्वारा शुरू की गईं 8 प्रसिद्ध कंपनियां

 

आज के समय में भारत में कई स्टार्ट अप्स ने शानदार तरीके से ग्रोथ ली है. बड़े लोकल मार्केट, बढ़ती टेक्नोलॉजी और पर्याप्त कैपिटल की बदौलत ये सब संभव हो पाया है. आने वाले समय में ये सिर्फ क्रांति न रहकर मार्केट के विकास में भी योगदान देगा. हालांकि अभी कई बड़े स्टार्ट अप्स की नींव पुरुषों के द्वारा रखी गई हैं  पर हाल ही में महिलाओं द्वारा शुरू किये गए बिज़नस स्टार्टअप्स ने भी अपना सिक्का जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.भारतीय समाज में जहां महिलाओं के दर्जे में इजाफ़ा हुआ है वहीँ भारतीय इकॉनमी में सफल महिलाओं द्वारा शुरू किये गए बिज़नस आज उसकी ग्रोथ में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं .

 

महिलाओं द्वारा शुरू की गईं 8 प्रसिद्ध कंपनियां

 

महिलाओं ने अपना प्रभाव तकरीबन हर इंडस्ट्री में छोड़ा है और मज़े की बात ये है कि जो भी महिलाएं किसी उद्योग का परचम संभाल रही हैं वो सब आज सफल हैं. यूँ तो भारत में सफल महिला उद्यमियों की लम्बी फेहरिस्त है पर आज इस लेख में हमने कुल 8 उद्यमियों को शामिल किया है जिनका भारतीय इकॉनमी में योगदान, सदियों तक याद रखा जाएगा और यकीनन ये कइयों के लिए प्रेरणास्पद भी है. 

 

अदिति गुप्ता : मेंस्त्रुपिडिया की को-फाउंडर 

 

अदिति गुप्ता : मेंस्त्रुपिडिया की को-फाउंडर

 

अदिति और इनके पति द्वारा मेंस्त्रुपिडिया की स्थापना की गई. ये एक ऐसा प्रयास है जिसकी काफी समय से भारतीय समाज ख़ास कर के महिलाओं को ज़रूरत थी. दरअसल मेंस्त्रुपिडिया एक कॉमिक किताब है जो माहवारी के बारे में बड़ी ही सरलता से इलस्ट्रेशन व चित्रण के माध्यम से समझाती है. कुछ समय बाद इन्होंने menstrupedia.com नामक वेबसाइट भी लांच की. भारत में ये ऐसा पहला प्रयास है जब ऐसे मुद्दे पर बात की जाती है जिसके बारे में भारतीय समाज में बात करना निषेध है. साल 2014 में मेंस्त्रुपिडिया और व्हिस्पर का ये मिला जुला प्रयास था जब स्कूल इंटरेक्शन प्रोग्राम के तहत इन्होंने “touch the pickle” नामक कैंपेन को 4 शहरों में रन किया. 2014 में कॉमिक बुक का प्रकाशन किया गया है जिसे कई स्कूलों में सब्सक्राइब भी किया गया है. मेंस्त्रुपिडिया को सम्पूर्ण भारत में अच्छा प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है और इसी कारण से अब इसके स्पेनिश और नेपाली रूपांतरण भी आये हैं. अदिति गुप्ता को इस प्रयास का महत्वपूर्ण श्रेय जाता है जिन्होंने ऐसे मुद्दे को बड़ी ही ख़ूबसूरती से समझाया है जहां समाज को इसपर बात करने और समझने की ख़ासी  ज़रुरत थी. इतना ही नहीं यहाँ आपको दर्जनों मुफ्त सामग्री मिलती है जिससे आप कई ऐसे टॉपिक्स के बारे में समझ सकते हैं जिसपर अक्सर बात करने से लोग हिचकिचाते हैं.  

 

उपासना टाकू: मोबिक्विक की को-फाउंडर 

 

उपासना टाकू: मोबिक्विक की को-फाउंडर

 

उपासना व उनके पति बिपिन प्रीत सिंह ने मोबिक्विक कंपनी की स्थापना की है. मोबिक्विक ऐसा वर्चुअल वॉलेट है जो कई बड़ी कंपनियों और सर्विसेज से आपको जोड़ता है. इस एप के उपयोग से रजिस्टर्ड जगहों पर यूजर्स डिजिटली पे करने के साथ ही रिचार्ज भी कर सकते हैं. सुपर कैश नामक कांसेप्ट के माध्यम से क्लाइंट्स को उनके वॉलेट उपयोग करने पर पे बैक भी मिलता है.

यूजर्स की विशेष ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मोबिक्विक नाम की ये एप यूजर फ्रेंडली एप है.

 

वंदना लूथरा : VLCC की फाउंडर 

 

वंदना लूथरा : VLCC की फाउंडर

 

“क्वीन ऑफ़ वैलनेस” के रूप में जानी जाने वाली वंदना लूथरा VLCC की फाउंडर हैं. VLCC ब्यूटी और वैलनेस पर काम करने वाली ऐसी संस्था है जिसकी शुरुआत वंदना ने 1989 में अपने लीज्ड घर में बहुत ही छोटे से बैंक लोन अमाउंट के साथ करी थी. उस समय में वैलनेस और ब्यूटी पर केन्द्रित प्रोडक्ट्स और सेवा प्रदान करने वाला ये अपनी ही तरह का पहला कॉन्सेप्ट था. वंदना ने सर्विस और प्रोडक्ट्स पर विशेष रूप से ध्यान दिया और मेहनत और लगातार विकास का एक लम्बा सफ़र तय किया है और इन्हीं कारणों से उन्हें भारत की सफलतम महिला उद्योगपति में से एक गिना जाता है. 

 

ऋतु कुमार: लेबल ऋतु कुमार की फाउंडर 

 

ऋतु कुमार: लेबल ऋतु कुमार की फाउंडर

 

ऋतु कुमार ने कोलकाता में अपने करियर की शुरुआत वेडिंग गाउन और इवनिंग गाउन बनाकर करी. भारत की फैशन इंडस्ट्री में ये बड़ा नाम रखती हैं. काफी सालों की मेहनत और समर्पण के बाद इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी नाम कमाया है. इनके स्टोर फ्रांस, न्यू यॉर्क जैसे कई मुख्य जगहों पर हैं. 2013 में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया है. इन्होंने स्कॉलरशिप के माध्यम से न्यू यॉर्क के ब्रिअरक्लिफ कॉलेज में आर्ट हिस्ट्री का अध्ययन भी किया है. 

 

सबीना चोपड़ा : yatra.com की को-फाउंडर 

 

सबीना चोपड़ा : yatra.com की को-फाउंडर

 

ट्रेवल बुकिंग वेबसाइट में अग्रणी कंपनी yatra.com भारत की नामचीन कंपनी है. इसको US बेस्ड कॉर्पोरेशन एबिक्स ने 338 मिलियन डॉलर में 2019 में खरीदा था. 

सबीना चोपड़ा yatra ऑनलाइन की COO और को-फाउंडर दोनों ही हैं. इनका ट्रेवल और BPO इंडस्ट्री का 16 साल का अनुभव काफी महत्वपूर्ण है और इनका इस इंडस्ट्री में बड़ा नेटवर्क भी है. 

Yatra ऑनलाइन में इन्होंने एग्जीक्यूटिव वाईस प्रेसिडेंट ऑपरेशन के तौर पर काफी काम किया है. इससे पहले ये यूरोप की सबसे बड़ी ऑनलाइन ट्रेवल कंपनी में से एक, ebookers के लिए इंडिया ऑपरेशन में भी जुड़ी रही हैं. 

 

दिव्या गोकुलनाथ : BYJU की को- फाउंडर 

 

दिव्या गोकुलनाथ : BYJU की को- फाउंडर

 

आजकल इंडिया में e-learning का ट्रेंड जितना बढ़ा है, उसका काफी श्रेय BYJU’s को जाता है. ये एक ऐसा ऑनलाइन मंच है जो न सिर्फ घर बैठे लर्निंग देता है बल्कि आसानी से उपलब्ध माध्यम है. दिव्या इसकी को फाउंडर हैं. RV कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लिए दिव्या ने एक स्टूडेंट के तौर पर BYJU रवीन्द्रन की क्लास में एनरोल किया था. इसके बाद इन्होंने BYJU’s में एक शिक्षक के तौर पर काम किया और बाद इनका विवाह BYJU रवीन्द्रन के साथ हो गया. BYJU आज के समय में दुनिया की सर्वोत्तम एजुकेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी में से एक है. साल 2019 में दिव्या को लिंक्ड इन की टॉप वॉइसेस में से एक भी चुना गया है. 

 

श्रद्धा शर्मा, योर स्टोरी 

 

श्रद्धा शर्मा, योर स्टोरी

 

योर स्टोरी की क्रिएटर, सीईओ और चीफ एडिटर के रूप में श्रद्धा शर्मा को जाना जाता है. योर स्टोरी बिज़नस और उद्यमिता को प्रोत्साहन देता मीडिया टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म है. इससे पहले श्रद्धा CNBC TV18 में ब्रांड स्ट्रेटेजिस्ट के रूप में भी काम कर चुकी हैं. आज अधिकतर नवोदित और उभरते इंटरप्रेन्योरस योर स्टोरी के कवरेज और इंटरव्यूज़ से प्रेरणा ज़रूर लेते हैं. 

 

फराह नाथानी मेंज़ेस : द मुमुम को. की को फाउंडर

 

फराह नाथानी मेंज़ेस : द मुमुम को. की को फाउंडर

 

फराह नाथानी मेंज़ेस और उनकी पार्टनर श्रेया लाम्बा ने मुमुम को. शुरुआत की. इन दोनों महिला उद्यमियों का लक्ष्य बड़ा ही साफ़ था ऐसी ब्रांड बनाना जो लोगों को सही न्यूट्रीशन और स्वस्थ जीवन शैली की तरफ प्रेरित करे. “वैरी वैरी रियल”  के कांसेप्ट पर काम करने वाली ये कंपनी , फोकस करती है हेल्दी खाने के आइटम्स पर और बच्चों के प्रोडक्ट्स जो 100 प्रतिशत प्राकृतिक हों. न तो इनमे प्रीज़रवेटिव होते हैं और न ही ये गैर प्राकृतिक पदार्थ से बने होते हैं. 

तो ये थी कहानी कुछ सशक्त महिला उद्यमियों की जिन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया है. ऐसा नहीं कि इनके रास्ते में मुश्किलें न आई होंगी. पर अपनी मेहनत, समर्पण और पक्के इरादों के साथ न सिर्फ इन्होंने समाज के पुराने रीति रिवाजों को छोड़कर अपना मुकाम बनाया बल्कि औरों को ये प्रेरणा भी दी है कि अगर इरादा पक्का हो, तो छलांग मुमकिन है!

 

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