छोटे शहरों में महिला उद्यमी को कैसे प्रोत्साहित करें

 

जानिए कैसे छोटे शहरों में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए (How to encourage women entrepreneurs in small towns) आपको उपयुक्त तरीके। इस आर्टिकल में हम आपको विभिन्न संबंधित उदाहरणों और समर्थन के साथ उद्यमी महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियों को शेयर करेंगे!

 

How to encourage women entrepreneurs in small towns

 

महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली 39 वर्षीय “गोदावरी सातपुते” सिर्फ़ दसवीं पास हैं लेकिन पिछले एक दशक से वह बखूबी अपना व्यवसाय सम्भाल रहीं हैं.अपने व्यवसाय से उन्होंने ना सिर्फ़ अपने घर की आर्थिक स्थिति को संभाला है, बल्कि उनके यहाँ काम करने वाली महिलाओं के घरों को भी उम्मीद की किरण से रोशन किया. 

 

मूल रूप से ‘नरी गाँव” से आने वाली गोदावरी की 19 साल की उम्र में शादी हो गयी थी, उनके पति शंकर पुणे में सब्ज़ियों की दुकान चलाते थे और उसी से उनके संयुक्त परिवार का खर्च चलता था, शादी के एक-दो सालो में ही गोदावरी को समझ में आ गया कि उन्हें भी कुछ न कुछ करना पड़ेगा क्योंकि उनके पति की आय इतनी नहीं थी कि परिवार का अच्छे से गुज़ारा हो पाए. 

 

तो उनमें काम करने की चाह तो पहले से ही थी, परन्तु उनके पास कोई दिशा नहीं थी, और एक दिन उसने  स्थानीय बाज़ार में एक पेपरलैंप देखा और महसूस किया कि वह  इसे और भी आसानी से बना सकतीं हैं और घर आकर उन्होनें बहुत कम समय में बहुत ही सुन्दर पेपरलैंप बना दिया, यह देख कर उनके परिवार ने अत्याधिक प्रोत्साहित किया, और उन्होंने बैंक से ऋण मांग कर अपनी कम्पनी की नींव रख ली.

 

पिछले 10 सालों में “भारतीय युवा शक्ति” की मदद से, उन्होंने अपनी कम्पनी को पहले से अधिक बड़ा रूप दिया, इसमें उनके पति ने उनका हमेशा साथ निभाया, 2013 में उनकी कम्पनी ने करीब 30 लाख से ज़्यादा का व्यापार किया और इसी साल उन्हें “यूथ बिज़नेस इंटरनेशनल अवॉर्ड्स” द्वारा  ‘बेस्ट वीमेन एंटरप्रेन्योर’ के सम्मान से भी नवाज़ा गया, और इस सम्मान को लेने के लिए  लंदन बुलाया गया. 

 

आज करीब उनके साथ 80 महिलाएं काम कर रहीं हैं जिनको गोदावरी ख़ुद प्रशिक्षण देतीं हैं. तो यह थी एक दृढ़ निश्चयी उद्यमी महिला की जीवनी, जो शिक्षित ना होने के बावजूद भी कई महिलाओं को रोज़गार देती हैं, और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में सक्षम बनाती हैं, हाल ही में आई एक रिपोर्ट जिसे “मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट” ने बनाया था, उसके अनुसार, अगर महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा व्यापार में समान कार्य के अवसर दिए जाये, तो भारत 2025 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद(GDP) में 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ सकता है.

 

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उद्यमिता उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद कैसे कर सकती है? (How can Entrepreneurship Help Them Achieve Financial Freedom)

 

How can Entrepreneurship Help Them Achieve Financial Freedom

 

उद्यमिता महिलाओं को सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की ओर ले जाती है, बड़े शहरों की महिलाएं आसानी से जानकारी प्राप्त कर लेती हैं और कुछ ही समय में अपना नया व्यवसाय शुरू कर देतीं हैं, लेकिन छोटे शहरों की महिलाएं पैसे के लिए पूरी तरह से अपने परिवार पर निर्भर रहती हैं। अपर्याप्त ज्ञान और परिवार के असमर्थन के कारण वे अपने कौशल को रचनात्मक पहचान नहीं दे पाती, उन महिलाओं को उद्यमिता के बारे में जानकारी प्रदान करने की ज़रूरत हैं, इसके लिए सरकार को  कुछ सुविधाएँ उनको देनी होगी जैसे वर्कशॉप और सेमीनार.

 

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सरकारी सहायता और आसानी से ऋण उपलब्ध  करना (Government support and easy credit availability)

 

महिलाओं के लिए उद्यमिता शुरू करने में सरकारी सहायता और वित्त की कमी एक बड़ी बाधा है, क्यूंकि महिलाओं को उनकी क्षमता के अनुसार अधिक सख़्त नियमों का अनुसरण करना पड़ता है, जैसे रिश्वतखोरी, लोगों की छोटी सोच, घर से बाहर निकलने पर पावंधियों , अधिकांश महिलाएं समाज की इन्हीं पावंधियों  को देखकर नकारात्मक हो जाती है, अगर कोई महिला इन बाधाओं से लड़ भी ले, तो उसे सुविधाओं की भारी कमी दिखती है, छोटे शहर व  गांव में ऋण देने के लिए बैंक उपलब्ध नहीं है, इन छोटी- छोटी चीजों की ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्यूँकि इस देश की आवाम का 49% भाग महिलाएं  है, जिसमें से 72% महिलायें आज भी कृषि पर निर्भर हैं या बेरोज़गार  है ये हमारे समाज का बहुत बड़ा हिस्सा है जिसे हम अपनी गलत सोच के कारण पीछे करते जा रहें हैं.

 

महिला उद्यमी भारत की श्रम शक्ति और अर्थव्यवस्था में योगदान करने में मदद करती हैं (Women entrepreneurs help contribute to India's labor force and economy)

 

Women entrepreneurs help contribute to India's labor force and economy

 

महिलाएं हमेशा एक उज्ज्वल करियर और स्वतंत्रता की इच्छा रखती हैं। ‘उद्यमिता’ महिलाओं को उनकी इच्छाओं के आधार पर बहुत सारे अवसर प्रदान करती है, छोटे शहरों की महिलाएं नौकरी करके अपने परिवार को चलाने में योगदान देने में सक्षम नहीं है। 

वे अपने घरों के प्रबंधन और बच्चों की देखभाल करने तक ही सीमित हैं महिलाओं को उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना, उनके विचारों को एक ऊर्जा में बदलना, राष्ट्र के कल्याण के लिए आवश्यक है। उनके कौशल का उपयोग व्यवसाय के प्रबंधन में भी किया जा सकता है हालांकि इस दुनिया में हर एक व्यक्ति अलग तरीके से सोचता है और हम देश के बहुत बड़े वर्ग की सोच से अंजान हैं। 

ज़रा सोचिये हम आज से २० साल पहले  तीसरी दुनिया कहलाते थे और आज दुनिया में हमारी अर्थव्यवस्था छठे नंबर पर आती है,  हमारे देश की गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में की जाती है. जब हम अपनी 60% जनता के साथ यहां तक पहुंच सकते है तो वो दिन दूर नहीं जब विश्व में हमसे आगे कोई नहीं होगा।  बस एक अलग सोच की ज़रूरत है, महिलाओं की योग्यता समझने की ज़रूरत है, और फिर देखिये हम कहाँ होगें.

 

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हम कैसे इसमें योगदान देंगें ? (How do we contribute to this)

 

किसी भी अभियान को लोगों तक पहुँचाना आसान नहीं पर नामुमकिन भी नहीं है क्यूंकि अगर हम 5 सालों में गंगा स्वच्छ कर सकते हैं, इस देश के शहरों को साफ़ कर सकते हैं, तो ये क्यों नहीं हो सकता. बस एक कदम की ज़रूरत है जो महिलाओं को अंधविश्वासी प्रथाओं  से मुक्त कर दे. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर अभियान चलाने और जागरूकता पैदा करने से समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इस पुरुष प्रधान देश को सर्वप्रधान देश बनाया जा सकता है.


छोटे शहरों की महिलाएं बहुत तेजी से अपने करियर को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहीं हैं, वे उद्योग के हर क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां पैदा कर सकती हैं.  विभिन्न सरकारी नीतियों, प्रबंधन बोर्डों, पीयर-टू-पीयर प्लेटफॉर्म और उनके परिवारों के समर्थन से महिला उद्यमी भारत में दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं.

Chalaang | 01-08-2023

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