स्टॉक मार्केट विश्लेषण : जानिये क्या देखना है ख़ास

 

देश की इकॉनमी काफी हद तक स्टॉक मार्केट के उतार चढ़ाव पर टिकी होती है. अगर आप स्टॉक ट्रेडिंग में रूचि रखते हैं या इनकी रोज़ाना की गतिविधियों को ट्रैक करना पसंद करते हैं, तो आपको स्टॉक मार्केट ट्रेंड्स विश्लेषण के बारे में जानना ज़रूरी है. 

 

स्टॉक मार्केट विश्लेषण : जानिये क्या देखना है ख़ास

 

आज इस निम्नलिखित गाइड में आप ये जान पाएंगे कि अक्सर स्टॉक मार्केट का विश्लेषण करते समय हमें किन चीजों के बारे में पता करना चाहिए और ये जानकारी कैसे आपकी खुद की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में मददगार साबित हो सकती है.

 

1) पाइवोट पॉइंट्स 

 

पाइवोट पॉइंट्स

 

जब बारी मार्केटिंग ट्रेंड्स का विश्लेषण करने की आती है तो ऐसे बहुत सारे तरीके हैं जो आप लागू कर सकते हैं. इन्हीं तरीकों में से एक तरीका है पाइवोट पॉइंट्स जिसमें सपोर्ट और रेसिस्टेंट लेवल होते हैं. इस तरीके के अन्दर इंडीकेटर्स और गणितीय हिसाब (जैसे बोल्लिन्गेर बैंड्स) शामिल हैं जो ऐसे वैल्यूज देते हैं जिनको आप उपयोग कर सकते हैं ट्रेंड्स को पहचानने और उन ट्रेंड्स के आधार पर सही ट्रेडिंग निर्णय लेने में. जितनी भी चीज़ें स्टॉक विश्लेषण से जुड़ी हैं, यहाँ मूल्य के परिवर्तन को देखने के और भी कई तरीकें हैं; कुछ विश्लेषक पूरी तरह तकनीकी विश्लेषण पर निर्भर रहते हैं और कई फंडामेंटल डाटा पर विस्तृत पहुँच बनाते हैं. ये गाइड दोनों तरह के तरीकों तक पहुँचती है और इन दोनों को कैसे एक साथ उपयोग में लिया जाए, इस बारे में बताती है. 

 

2) मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डायवरजेंस (MACD)

 

मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डायवरजेंस (MACD)

 

1977 में गेराल्ड एप्पल द्वारा बनाया गया ये इंडिकेटर, दो नुमाइशी औसत बताता है - एक जो मूल्य को कम समय के लिए मापता है और दूसरा जो ज़्यादा लम्बे समय के लिए मूल्य को मापता है. जब ये मिलते हैं तो ट्रेंड उपर की तरफ बढ़ता है, और जब ये अलग होते हैं तब ये निशानी होती है नीचे की तरफ जाते ट्रेंड की. कई बार इनको MACD हिस्टोग्राम की तरह रेफ़र किया जाता है जिसमें मोमेंटम ओसिलेटर जिनको MACD रेखाएं कहते हैं शामिल होती हैं. 

बुल्लिश कन्वर्जेन्स तब होता है जब बढती हुई MACD रेखा अपने ऊपर की सिग्नल रेखा (ज़ीरो लाइन)को पार कर जाती है; ये मूल्य में मज़बूती दिखाता है. बिअरिश डायलवेर्जेंस तब होता है जब मूल्य उन्नति करता है मगर MACD की कीमत कम होती है. ये बदलाव मूल्यों की चाल बताते हैं कि वो कमज़ोर हुए या मज़बूत, साथ ही गिरते मूल्य पोटेंशियल रिवर्सल की तरफ भी इशारा करते हैं.  

बाकी इंडिकेटर की तरह ये इनकी पिछली परफॉरमेंस पर निर्भर रहते हैं, इसलिए ट्रेंड्स हर समय, विभिन्न मार्केट परिस्थितियों पर टिके नहीं रहते.  

 

3) मनी फ्लो इंडेक्स (MFI) 

 

 मनी फ्लो इंडेक्स (MFI)

 

MFI दर्शाता है की पैसा स्टॉक के बाहर या अन्दर कहाँ जा रहा है. अगर ज्यादा पैसा बाहर की बजाय स्टॉक के अन्दर जा रहा है तो MFI 50 के ऊपर होगा. इसका मतलब हुआ कि खरीददार स्टॉक को सपोर्ट कर रहे हैं. वहीँ अगर पैसा स्टॉक के अन्दर जाने के बजाय बाहर जा रहा है तो उसका MFI 50 से नीचे होगा और ये एक परेशानी की वजह होगी. 

ये इंडिकेटर उन स्टॉक्स पर बेहतर काम करता है जो $3/ शेयर के ऊपर ट्रेड करते हैं.( स्त्रोत : इन्वेस्टोपीडिया ) 

ऑन बैलेंस वॉल्यूम औसीलेटर: जोसफ ग्रेनविल्ले द्वारा बनाया गया OBV, मूल्य कार्यवाही के तहत वॉल्यूम देखता है. इसका सबसे मशहूर काम है कोइनसिडेंट इंडिकेटर की तरह बाकी इंडिकेटर जैसे MACD और स्टोकास्टिक  के साथ काम करना. 

OBV अकेले सही काम नहीं करता मगर इसको अगर एक या दो तकनीकी इंडीकेटर्स जो कि जब OBV मूल्य चाल से डायवर्ज होता है और अपनी ट्रेंडिंग प्रवृत्ति खो देता है तब कुछ सिग्नल्स देते हैं  जिससे अच्छा काम होता है.

 

4) रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स (RSI)

 

रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स

 

रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स यानी RSI एक उन्नत मोमेंटम इंडिकेटर है जो मूल्य चाल की गति और बदलाव मापता है. ये इंडिकेटर, क्लोजिंग मूल्य को एक रेफेरेंस पॉइंट जो कि 14 दिन या उससे लम्बा होता है की तुलना करता है. 70 से ऊपर का RSI के काफी खरीददार होते हैं और 30 से नीचे के RSI बिके हुए होते हैं. इन संख्याओं से किसी भी दी हुई सिक्यूरिटी के बुल्लिश या बिअरिश दबाव का पता चलता है. 

मूविन औसत: एक मूविंग औसत (MA) कई सारे औसतों की सीरीज़ है जिन्हें निश्चित अंतराल जैसे 10 दिन का मूविंग औसत , 50 दिन का मूविंग औसत, 200 दिन का मूविंग औसत इत्यादि लिया जाता है जो मूल्यों की शार्ट टर्म अस्थिरता को आसान बनाते हैं और समय के साथ आपके किये हुए इन्वेस्टमेंट या निवेश की और साफ़ तस्वीर दिखाते हैं.

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स्टॉक मार्केट ट्रेनिंग 


निष्कर्ष 

हर प्रोफेशनल निवेशक या ट्रेडर के पास  स्टॉक मार्केट ट्रेंड विश्लेषण की स्किल्स होना बहुत महत्वपूर्ण है. ट्रेंड्स के बारे में पता करना और सही इन्वेस्टमेंट के निर्णय लेना आपको सफलता की ओर ले जाता है. हालांकि हर एक्सपर्ट की अलग अलग  चॉइस और चुनाव होते हैं पर कई तकनीक और स्ट्रेटेजी के इस्तेमाल से इन चार चरणों के माध्यम से स्टॉक मार्केट विश्लेषक चार्ट्स देखते हैं और उको फॉलो करते हैं.

 

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